Madhu varma

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लेखनी कविता - गज़ल

गज़ल


किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोल 
अभी बदलता है माहौल, अल्लाह बोल 

कैसे साथी, कैसे यार, सब मक्कार 
सबकी नीयत डांवाडोल, अल्लाह बोल 

जैसा गाहक, वैसा माल, देकर ताल 
कागज़ में अंगारे तोल, अल्लाह बोल 

हर पत्थर के सामने रख दे आइना 
नोच ले हर चेहरे का खोल, अल्लाह बोल 

दलालों से नाता तोड़, सबको छोड़ 
भेज कमीनो पर लाहौल, अल्लाह बोल 

इंसानों से इंसानों तक एक सदा 
क्या ततारी, क्या मंगोल, अल्लाह बोल 

शाख-ए-सहर पे महके फूल अज़ानों के 
फ़ेंक रजाई, आंखें खोल, अल्लाह बोल "

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